ईश्वर ने हम सभी को एक स्वस्थ शरीर दिया है, जिसे सदैव स्वस्थ रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिये। परंतु यह काम हम पूरी ईमानदारी से नही करते और शनेः शनेः हम अपना स्वास्थ खोते जाते हैं। यह भी हम सभी जानते हें, कि शरीर अस्वस्थ होने पर उस व्यक्ति के लिये धन, वैभव, सुख व सुविधाओं का कोई मूल्य नही रह जाता, वह किसी चीज का उपभोग नही कर पाता है। क्योकि जीवन में सभी सुखों की अनुभूती तभी की जा सकती है, जब शरीर स्वस्थ हो।
शरीर को स्वस्थ रखने का शसक्त माध्यम है। योग प्राचीन हिन्दू सभ्यता का स्वर्णिम अध्याय है। जो सदैव से शरीर, मन और मष्तिष्क को जोड़ने का काम करता है, ओर उन्हे एक लय में एक जगह केन्द्रित करता है। क्योकि योग का मतलब ही जोड़ होता है।
Yoga जीवन में खुशहाली लाना का प्रथम पायदान है। जब हम इस दिशा में बढ़ते हें, तो हमारे सामने जीवन के नये-नये आयाम खुलते चले जाते है।
योग के लाभ
Yoga एक ऐसा वरदान है, जिसके द्वारा मनुष्य आध्यात्मिक, शारीरिक एवं मानसिक क्षमतओं को उच्च स्तर पर ले जाने में सक्षम होता है। आइये योग से होने नाले लाभों को समझते है।
1. Yogaसे सर्वप्रथम शारीरिक लाभ होता है। योग शुरू करने के कुछ समय में ही व्यक्ति शारीरिक रोगों से छुटकारा पाने लगता है, ओर शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बननें लगता है।
2. Yoga से व्यक्ति के मानसिक स्तर में सुधार होता है। व्यक्ति के मन से चिंता, तनाव, अवसाद, नेगेटिव विचारआदि समाप्त होने लगते है एवं व्यक्ति मानसिक रूप से सुदृढ़ होने लगता है। और वह किसी भी परिस्थिती से मुकाबला करनें में सक्षम होता है।
3. Yoga करने वाला व्यक्ति सदैव प्रसन्न चित रहता है। अतः उसके आसपास भी स्वच्छ और आध्यात्मिक माहोल बना रहता है, जिससे उसे हर व्यक्ति से प्यार और सम्मान मिलता है।
4. Yoga करने वाला व्यक्ति मौसम के परिवर्तन से अप्रभावित रहता है। क्योंकि योग व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है। जिससे मौसमी बीमारियाँ व्यक्ति को प्रभावित नही कर पाती और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
5. असाध्य रोग होने पर भी उचित योग प्राणायाम द्वारा भी रोग से मुक्ति पायी जा सकती है।
6. नियमित Yoga करने वाला व्यक्ति स्वतः ही मन, कर्म एवं वचन से सात्विक होता जाता है, ओर आदर्श जीवन व्यतीत करता है।
7. Yoga में शरीर के विभिन्न अंगों को स्वस्थ रखने के लिये भिन्न भिन्न प्रकार के प्राणायाम एवं आसन बताये गये है। जिससे हर अंग को स्वस्थ रखा जा सकता है।
योग एक बहुत विस्तृत विषय है। इसके बहुत से अंग है, जेसे राजयोग, ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग, धर्मयोगओर हठयोग। इन सभी में राजयोग पतंजली द्वारा प्रतीपादित योग है। वर्तमान में इसी योग का सर्वाधिक प्रचलन ओर महात्व है। इसे अष्टांग योग भी कहा जाता है। क्योकि पतंजली ने इसे आठ श्रेणियों में बाँटा है।
(1) यम (2) नियम (3) आसन (4). प्राणायाम (5). प्रत्याहार (6). धारणा (7). ध्यान (8). समाधि
इन आठ श्रेणियों की उपश्रेणियाँ भी है। राजयोग में आसन योग का अपना ही महात्व है। वर्तमान में यह अत्यधिक प्रचलन में है। इससे शरीर में चुस्ती एवं स्फूर्ति आती है। शरीर स्वस्थ होने के साथ ही शारीरिक क्षमताओं में वृद्धी भी होती है।
यहाँ पर आप Yoga के विभिन्न पहलुओं से रूबरू होंगे। योग से सम्बंधित बहुत ही उपयोगी जानकारीयों का संकलन यहाँ पर किया गया है, ताकि Yoga से स्वास्थ लाभ कैसे लें यह आप जान सकें।
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